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Saturday, 14 July 2018

July 14, 2018

Bakra Eid | Aug 21, 2018 - Aug 22, 2018

मुस्लिमों के लिये ईद का त्योहार बेहद खास होता है। जैसे हिंदुओं के लिये मुख्य त्योहार दिवाली है, वैसे मुस्लिमों के लिये ईद। यूं तो ईद दो तरह कि होती हैं, लेकिन दोनो ही त्योहारों की रौनक देखने लायक होती है। कई दिन पहले ही बाज़ार सज जाते हैं। नए कपड़ों की खरीददारी होती है। ईद-उल-फितर यानि मीठी ईद में रमजान के बाद मनाई जाती है और इसमें सवइयां बनती हैं। ईद-उल-जुहा हज की समाप्ति पर मनाई जाती है और इसमें किसी जानवर कि कुर्बानी दी जाती है। भारत में अधिकतर बकरे की कुर्बानी दी जाती है, तो खरब देशों में ऊंट की कुर्बानी भी दी जाती है, लेकिन कुर्बानी उसी जानवर की दी जाती है जो सबसे प्रिय हो। इसके पीछे एक वजह और कहानी है। इस बार ईद 1 सितंबर शुक्रवार शाम से 2 सितंबर शनिवार शाम तक चलेगी 

कुर्बानी की कथा

यहूदी, ईसाई और इस्लाम तीनों ही धर्म के पैगंबर हज़रत इब्राहीम को आकाशवाणी हुई कि अापको जो चीज सबसे प्रिय है उसको अल्लाह के लिये क़ुर्बान करो। पैगंबर हज़रत इब्राहीम को अपने बेटे से बहुत लगाव था और उन्होंने उसे ही क़ुर्बान करने का ठाना। हज़रत इब्राहीम ने जैसे ही बेटे की कुर्बानी दी तो चमत्कार हुआ और बच्चा बच गया और बकरे की कुर्बानी अल्लाह ने ले ली। तब से आज तक अपनी प्रिय चीज को कुर्बान करने की प्रथा चली आ रही है और उसे ही बकरईद या ईद-उल-जुहा कहते हैं।

कुर्बानी का फर्ज

कुर्बानी के पीछे एक बड़ा रहस्य और फर्ज है।  हज़रत मोहम्मद साहब का आदेश है कि हर शख्स को अपने परिवार और देश की रक्षा के लिये हमेशा कुर्बानी के लिये तैयार रहना चाहिए।
ईद-उल-जुहा  को तीन भागों में बांटा जाता है। एख भाग खुद के लिये और बाकि दो गरीब तबके में या जरूरतमंदों को दिये जाते हैं।