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Sunday, 15 July 2018

July 15, 2018

Raksha Bandhan | Aug 26, 2018

रक्षा बंधन 2018 - अगस्त 26 (रविवार)


मां बाप के बाद कोई बच्चा अगर किसी का हाथ पकड़ता है तो वो होते हैं उसके भाई और बहन। घर का कमरा शेयर करना हो। किताबें पढ़नी हों। लड़ाई करनी हो। रुठना, मनाना। भाई और बहन का रिश्ता ऐसा है जिसका कभी अंत नहीं हो सकता है। भाई और भाई की लड़ाई हो जाए तो वो उम्र भर आपस में बात नहीं करते, लेकिन भाई और बहन कभी एक दूसरे से अलग नहीं रह सकते। हर किसी की बहन अपने भाई की केयर करती है । भले ही घर में वो उससे लड़ाई करे , लेकिन कभी किसी बाहर के शख्स के मुहं से उसकी बुराई नहीं सुन सकती। उसी तरह भाई का अगर घर बस जाए, शादी हो जाए, बच्चे हो जाएं, फिर भी वो बहन से पूरा रिश्ता निभाता है। बहन को भी अपने भाई से ही सारी आस होती है। 
इसी प्यार के रिश्ते को जाहिर करता है रक्षा बंधन या राखी का त्योहार। 
इसेराखी पूर्णिमा के तौर पर भी जाना जाता है। यह त्योहार हिंदू चंद्र कैलेंडर के सावन माह में पूर्ण चंद्र के दिन होता है, जिसे पूर्णिमा कहा जाता है। राखी एक धर्मनिरपेक्ष त्योहार है। इसे पूरे देश में मनाया जाता है। राज्य, जाति और धर्म कोई भी हो, हर व्यक्ति इसे मनाता है। राखी मॉरीशस और नेपाल में भी मनाई जाती है। रक्षा बंधन का शाब्दिक अर्थ हुआ रक्षा का बंधन। भाई और बहन इस दिन एक-दूसरे के प्रति अपने नैसर्गिक प्रेम को प्रदर्शित करते हैं। भाई अपनी बहन को हर मुश्किल परिस्थिति में रक्षा करने और किसी भी अप्रिय स्थिति से बचाने का वचन देता है। बहनें अपने भाई की लंबी आयु की कामना करती हैं|


रक्षा बंधन का इतिहास

इसका इतिहास  सिंधु घाटी की सभ्यता से जुड़ा हुआ है। असल में रक्षाबंधन की परंपरा उन बहनों ने डाली थी जो सगी नहीं थीं, भले ही उन बहनों ने अपने संरक्षण के लिए ही इस पर्व की शुरुआत क्यों न की हो, लेकिन उसकी बदौलत आज भी इस त्योहार की मान्यता बरकरार है।
इतिहास के पन्नों को देखें तो इस त्योहार की शुरुआत 6 हजार साल पहले माना जाता है। इसके कई साक्ष्य भी इतिहास के पन्नों में दर्ज हैं। रक्षाबंधन की शुरुआत का सबसे पहला साक्ष्य रानी कर्णावती और सम्राट हुमायूं का है। मध्यकालीन युग में राजपूत और मुस्लिमों के बीच संघर्ष चल रहा था, तब चित्तौड़ के राजा की विधवा रानी कर्णावती ने गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह से अपनी और अपनी प्रजा की सुरक्षा का कोई रास्ता न निकलता देख  हुमायूं को राखी भेजी थी। तब हुमायू ने उनकी रक्षा कर उन्हें बहन का दर्जा दिया था। ऐसा ही एक अन्य प्रसंग महाभारत काल का है| महान ऐतिहासिक ग्रंथ महाभारत के मुताबिक एक बार भगवान कृष्ण, पांडवों के साथ पतंग उड़ा रहे थे। उस समय धागे की वजह से उनकी अंगुली कट गई। तब द्रोपदी ने बहते खून को रोकने के लिए अपनी साड़ी का कपड़ा फाड़कर उनकी अंगुली पर बांधा था। भगवान कृष्ण द्रोपदी के इस प्रेम से भावुक हो गए और उन्होंने आजीवन सुरक्षा का वचन दिया। यह माना जाता है कि चीर हरण के वक्त जब कौरव राजसभा में द्रोपदी की साड़ी उतार रहे थे, तब कृष्ण ने उस छोटे से कपड़े को इतना बड़ा बना दिया था कि कौरव उसे खोल नहीं पाए। भाई और बहन के प्रतीक रक्षा बंधन से जुड़ी एक अन्य रोचक कहानी है, मौत के देवता भगवान यम और यमुना नदी की। पौराणिक कथाओं के मुताबिक यमुना ने एक बार भगवान यम की कलाई पर धागा बांधा था। वह बहन के तौर पर भाई के प्रति अपने प्रेम का इजहार करना चाहती थी। भगवान यम इस बात से इतने प्रभावित हुए कि यमुना की सुरक्षा का वचन देने के साथ ही उन्होंने अमरता का वरदान भी दे दिया। साथ ही उन्होंने यह भी वचन दिया कि जो भाई अपनी बहन की मदद करेगा, उसे वह लंबी आयु का वरदान देंगे। यह भी माना जाता है कि भगवान गणेश के बेटे शुभ और लाभ एक बहन चाहते थे। तब भगवान गणेश ने यज्ञ वेदी से संतोषी मां का आह्वान किया। रक्षा बंधन को शुभ, लाभ और संतोषी मां के दिव्य रिश्ते की याद में भी मनाया जाता है।

कैसे मनाते है?

बहनें अपने भाइयों के लिए पसंदीदा राखियां खरीदने के लिए काफी पहले से तैयारी करती हैं। कई बहनें अपने से दूर रह रहे भाइयों को पोस्ट के जरिए राखी भेजती हैं। भाई भी बहनों के लिए उपहार तलाशना शुरू कर देते हैं। यह इस बात पर निर्भर करता है कि उनके पास कितने पैसे हैं और उनका बजट क्या है। इंटरनेट के इस जमाने में, ऑनलाइन स्टोर से सीधे राखी और उपहार भेजने का चलन भी तेजी से बढ़ रहा है। कुछ तो वास्तविक राखियों के स्थान पर वर्चुअल राखियां देने की भी सोचते हैं। राखी के दिन हर घर में उत्साह का माहौल रहता है। पूरा परिवार एकजुट होता है। परिवार के सदस्य नए कपड़े पहनते हैं। महिलाएं और लड़कियां अपनी हथेलियों पर मेहंदी लगवाती हैं। मिठाइयां बनती हैं और हर घर में एक कार्निवाल-सी तैयारी होती है।
घर के देवी-देवताओं की पूजा करने के बाद बहनें अपने भाई की आरती उतारती हैं। तिलक और चावल माथे पर लगाती हैं। बदले में भाई जिंदगीभर सुरक्षा का वचन देने के साथ ही उपहार भी बहनों को देते हैं।आजादी के बाद रवींद्र नाथ ठाकुर ने शांति निकेतन में राखी महोत्सव का आयोजन किया। वे पूरे विश्व में बंधुत्व और सह-अस्तित्व की भावना जगाना चाहते थे। यहां राखी मानवीय संबंधों में सद्भाव का प्रतीक है।सशस्त्र सेनाओं को भी इस दिन नहीं भूलाया जा सकता। वर्दी वाले यह जवान हमारी सीमाओं की रक्षा करते हैं ताकि हम यहां आराम से सुरक्षित रह सके। इस दिन सीमाई इलाकों के पास रहने वाले लोग बड़े पैमाने पर सशस्त्र सेनाओं से मिलने जाते हैं। सिपाहियों की कलाइयों पर राखी बांधते हैं।

राखी की आधुनिक अवधारणा

रक्षा बंधन अब खून के रिश्तों तक सीमित नहीं है, जो भाई और बहन के बीच ही रहे। आज, बहनें भी एक-दूसरे को राखी बांधकर एक-दूसरे को जीवनभर प्रेम और रक्षा करने का वचन देती हैं। दोस्त भी इस त्योहार को मनाने लगे हैं। आपसी रिश्ते को मजबूती देने और एक-दूसरे के प्रति अपने अहसास बताने के लिए। आज रक्षा बंधन एक व्यापक नजरिये को प्रस्तुत करता है। जीवनभर नैतिक, सांस्कृतिक और अध्यात्मिक मूल्य भी इसमें शामिल हैं। कोई भी रिश्ता किसी खास दिन या उत्सव का मोहताज नहीं होता। लेकिन त्योहार और खास दिन ही हमारी रोजमर्रा की बोरियत भरी जिंदगी से दूर करते हुए हमें आपसी रिश्तों और प्रेम के प्रतीक इन त्योहारों को मनाने को प्रेरित करते हैं। हम यहां हर एक को विश्व बंधुत्व और प्रेम को अभिव्यक्त करना चाहते हैं।

क्या-क्या गिफ्ट दे सकते हैं

आप बाजार में एक से एक गिफ्ट देख सकते हैं, लेकिन जब बारी आती है बहनों को गिफ्ट देने की, तो अकसर भाई अपना सिर खुजाने लग जाते हैं। अगर आप भी मार्केट की खाक छानकर परेशान हो चुके हैं और समझ नहीं पा रहे है कि अपनी बहन को क्‍या गिफ्ट करें, तो परेशान न हों, आपकी परेशानी का हल हमारे पास है।

ड्रेसेज

 लड़कियों को नए नए कपड़ों से काफी लगाव होता है, इसलिये आज के ट्रेंड के हिसाब से सबसे लेटेस्ट कपड़े खरीद कर ले जा सकते हैं।

स्पेशल डॉल्स फॉर डॉल

बहनें भाइयों के लिए गुड़िया की तरह होती हैं। इस बात को ध्यान में रखकर म्यूजिकल डॉल, स्पीकिंग डॉल, डांसिंग डॉल, सॉफ्ट टॉय डॉल जैसी कई वेराइटी आप अपनी बहन को दे सकते हैं। इन खूबसूरत डॉल्स पर बहनों के नाम भी प्रिंट किए जा रहे हैं। खास बात ये है कि ये डॉल्स हर एज ग्रुप की बहनों को लुभा रहे हैं।

स्पा, अरोमा पैकेज

आज की भागदौड़ की लाइफ में आराम किसी के पास नहीं। अगर आप अपनी बहन को इस रक्षा बंधन पर कुछ स्पेशल फील कराना चाहते हैं तो आप अपनी बहन को स्पा पैकेज, अरोमा थैरेपी पैकेज और योग सेशन के लिए भी पैकेज दे सकते हैं। यह क्रिएटिव गिफ्ट आपकी बहन को पसंद तो आएगा ही साथ ही इससे वह काफी रिलेक्सिंग भी फील करेगी।

ज्वेलरी

ज्वेलरी भी डिमांड में है। पतली रिंग्स, छोटे ईयररिंग, नोजपिन और ब्रेसलेट भी गिफ्ट कर सकते हैं। इसके लिए राखी के लिए कई तरह की ज्वेलरी लॉन्च की गई है। गोल्ड, डायमंड ज्वेलरी में बहनों की पसंद के अनुसार डिजाइन तैयार किए जा रहे हैं।

सॉफ्ट टॉयज पर भाई बहन की फोटो

राखी पर भी भाई बहन की फोटो प्रिंट हो रही है। वहीं, पिलो पर इस बार थ्री डी प्रिंट छाए हुए हैं। आपको बता दें की टेडी वियर लड़कियों की खासी ज्यादा पसंद है।250 रुपए से 5 हजार तक के टेडी बीयर, पेयर टेडी और दूसरे सॉफ्ट टॉय पर फोटो प्रिंट कराई जा सकती है। 

Saturday, 14 July 2018

July 14, 2018

Bakra Eid | Aug 21, 2018 - Aug 22, 2018

मुस्लिमों के लिये ईद का त्योहार बेहद खास होता है। जैसे हिंदुओं के लिये मुख्य त्योहार दिवाली है, वैसे मुस्लिमों के लिये ईद। यूं तो ईद दो तरह कि होती हैं, लेकिन दोनो ही त्योहारों की रौनक देखने लायक होती है। कई दिन पहले ही बाज़ार सज जाते हैं। नए कपड़ों की खरीददारी होती है। ईद-उल-फितर यानि मीठी ईद में रमजान के बाद मनाई जाती है और इसमें सवइयां बनती हैं। ईद-उल-जुहा हज की समाप्ति पर मनाई जाती है और इसमें किसी जानवर कि कुर्बानी दी जाती है। भारत में अधिकतर बकरे की कुर्बानी दी जाती है, तो खरब देशों में ऊंट की कुर्बानी भी दी जाती है, लेकिन कुर्बानी उसी जानवर की दी जाती है जो सबसे प्रिय हो। इसके पीछे एक वजह और कहानी है। इस बार ईद 1 सितंबर शुक्रवार शाम से 2 सितंबर शनिवार शाम तक चलेगी 

कुर्बानी की कथा

यहूदी, ईसाई और इस्लाम तीनों ही धर्म के पैगंबर हज़रत इब्राहीम को आकाशवाणी हुई कि अापको जो चीज सबसे प्रिय है उसको अल्लाह के लिये क़ुर्बान करो। पैगंबर हज़रत इब्राहीम को अपने बेटे से बहुत लगाव था और उन्होंने उसे ही क़ुर्बान करने का ठाना। हज़रत इब्राहीम ने जैसे ही बेटे की कुर्बानी दी तो चमत्कार हुआ और बच्चा बच गया और बकरे की कुर्बानी अल्लाह ने ले ली। तब से आज तक अपनी प्रिय चीज को कुर्बान करने की प्रथा चली आ रही है और उसे ही बकरईद या ईद-उल-जुहा कहते हैं।

कुर्बानी का फर्ज

कुर्बानी के पीछे एक बड़ा रहस्य और फर्ज है।  हज़रत मोहम्मद साहब का आदेश है कि हर शख्स को अपने परिवार और देश की रक्षा के लिये हमेशा कुर्बानी के लिये तैयार रहना चाहिए।
ईद-उल-जुहा  को तीन भागों में बांटा जाता है। एख भाग खुद के लिये और बाकि दो गरीब तबके में या जरूरतमंदों को दिये जाते हैं।
July 14, 2018

Independence Day | Aug 15, 2018








कैसा लगेगा अगर कोई आपके ही घर आकर आपसे मारपीट करे, आपके घर का ही सामान प्रयोग में लाए और अंत में आपसे ही घर में रहने के पैसे मांगने लग जाए… बहुत बुरा… यही नां… कुछ ऐसा ही किया था अंग्रेजों ने हमारे साथ। भारत में आए और फिर भारतीयों को ही गुलाम बना लिया। कई विद्रोह हुए, हज़ारों क्रांतिकारियों की जान गई, कई सालों तक संघर्ष चला और तब जाकर हमें आजादी मिली। 15 अगस्त 1947 वो दिन है जब आधिकारिक तौर पर अंग्रेज भारत से चले गए थे। इसे हम हर साल स्वतंत्रता दिवस के तौर पर मनाते हैं।

प्रतिवर्ष इस दिन भारत के प्रधानमंत्री लाल किले की प्राचीर से देश को सम्बोधित करते हैं। 15 अगस्त 1947 के दिन भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने, दिल्ली में लाल किले के लाहौरी गेट के ऊपर, भारतीय राष्ट्रीय ध्वज फहराया था। महात्मा गाँधी के नेतृत्व में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में लोगों ने काफी हद तक अहिंसक प्रतिरोध और सविनय अवज्ञा आंदोलनों में हिस्सा लिया। स्वतंत्रता के बाद ब्रिटिश भारत को धार्मिक आधार पर विभाजित किया गया, जिसमें भारत और पाकिस्तान का उदय हुआ। विभाजन के बाद दोनों देशों में हिंसक दंगे भड़क गए और सांप्रदायिक हिंसा की अनेक घटनाएं हुईं। विभाजन के कारण मनुष्य जाति के इतिहास में इतनी ज्यादा संख्या में लोगों का विस्थापन कभी नहीं हुआ। यह संख्या तकरीबन 1.45 करोड़ थी। 1951 की विस्थापित जनगणना के अनुसार विभाजन के एकदम बाद 72,26,000 मुसलमान भारत छोड़कर पाकिस्तान गये और 72,49,000 हिन्दू और सिख पाकिस्तान छोड़कर भारत आए। 
इस दिन को झंडा फहराने के समारोह, परेड और सांस्कृतिक आयोजनों के साथ पूरे भारत में मनाया जाता है। भारतीय इस दिन अपनी पोशाक, सामान, घरों और वाहनों पर राष्ट्रीय ध्वज प्रदर्शित कर इस उत्सव को मनाते हैं 


इतिहास

यूरोपीय व्यापारियों ने 17वीं सदी से ही भारतीय उपमहाद्वीप में पैर जमाना आरम्भ कर दिया था। अपनी सैन्य शक्ति में बढ़ोतरी करते हुए ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने 18वीं सदी के अन्त तक स्थानीय राज्यों को अपने वशीभूत करके अपने आप को स्थापित कर लिया था। 1857 के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के बाद भारत सरकार अधिनियम 1858 के अनुसार भारत पर सीधा आधिपत्य ब्रितानी ताज (ब्रिटिश क्राउन) अर्थात ब्रिटेन की राजशाही का हो गया। दशकों बाद नागरिक समाज ने धीरे-धीरे अपना विकास किया और इसके परिणामस्वरूप 1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आई० एन० सी०) निर्माण हुआ। प्रथम विश्वयुद्ध के बाद का समय ब्रितानी सुधारों के काल के रूप में जाना जाता है जिसमें मोंटेगू-चेम्सफोर्ड सुधार गिना जाता है लेकिन इसे भी रोलेट एक्ट की तरह दबाने वाले अधिनियम के रूप में देखा जाता है जिसके कारण स्वरुप भारतीय समाज सुधारकों द्वारा स्वशासन का आवाहन किया गया। इसके परिणामस्वरूप महात्मा गांधी के नेतृत्व में असहयोग और सविनय अवज्ञा आंदोलनों तथा राष्ट्रव्यापी अहिंसक आंदोलनों की शुरूआत हो गयी।

1930 के दशक के दौरान ब्रितानी कानूनों में धीरे-धीरे सुधार जारी रहे; परिणामी चुनावों में कांग्रेस ने जीत दर्ज की। अगला दशक काफी राजनीतिक उथल पुथल वाला रहा: द्वितीय विश्व युद्ध में भारत की सहभागिता, कांग्रेस द्वारा असहयोग का अन्तिम फैसला और अखिल भारतीय मुस्लिम लीग द्वारा मुस्लिम राष्ट्रवाद का उदय। 1947 में स्वतंत्रता के समय तक राजनीतिक तनाव बढ़ता गया। इस उपमहाद्वीप के आनन्दोत्सव का अंत भारत और पाकिस्तान के विभाजन के रूप में हुआ। 1929 लाहौर सत्र में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने पूर्ण स्वराज घोषणा की और 26 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस के रूप में घोषित किया। कांग्रेस ने भारत के लोगों से सविनय अवज्ञा करने के लिए स्वयं प्रतिज्ञा करने व पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्ति तक समय-समय पर जारी किए गए कांग्रेस के निर्देशों का पालन करने के लिए कहा। इस तरह के स्वतंत्रता दिवस समारोह का आयोजन भारतीय नागरिकों के बीच राष्ट्रवादी ईधन झोंकने के लिये किया गया व स्वतंत्रता देने पर विचार करने के लिए ब्रिटिश सरकार को मजबूर करने के लिए भी किया गया। कांग्रेस ने 1930 और 1956 के बीच 26 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया। इसमें लोग मिलकर स्वतंत्रता की शपथ लेते थे। जवाहरलाल नेहरू ने अपनी आत्मकथा में इनका वर्णन किया है कि ऐसी बैठकें किसी भी भाषण या उपदेश के बिना, शांतिपूर्ण व गंभीर होती थीं। गांधी जी ने कहा कि बैठकों के अलावा, इस दिन को, कुछ रचनात्मक काम करने में खर्च किया जाये जैसे कताई कातना या हिंदुओं और मुसलमानों का पुनर्मिलन या निषेध काम, या अछूतों की सेवा। 1947 में वास्तविक आजादी के बाद,भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 को प्रभाव में आया; तब के बाद से 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। 


स्वतंत्र भारत की घोषणा

14 अगस्‍त 1947 को रात को 11.00 बजे संघटक सभा द्वारा भारत की स्‍वतंत्रता को मनाने की एक बैठक आरंभ हुई, जिसमें अधिकार प्रदान किए जा रहे थे। जैसे ही घड़ी में रात के 12.00 बजे भारत को आज़ादी मिल गई और भारत एक स्‍वतंत्र देश बन गया। तत्‍कालीन स्‍वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अपना प्रसिद्ध भाषण नियति के साथ भेंट दिया।
“जैसे ही मध्‍य रात्रि हुई, और जब दुनिया सो रही थी, भारत जाग रहा होगा और अपनी आज़ादी की ओर बढ़ेगा। एक ऐसा पल आता है जो इतिहास में दुर्लभ है, जब हम पुराने युग से नए युग की ओर जाते हैं...क्‍या हम इस अवसर का लाभ उठाने के लिए पर्याप्‍त बहादुर और बुद्धिमान हैं और हम भविष्‍य की चुनौती को स्‍वीकार करने के लिए तैयार हैं?” 
- पंडित जवाहरलाल नेहरू

इसके बाद तिरंगा झण्‍डा फहराया गया और लाल क़िले की प्राचीर से राष्ट्रीय गान गाया गया।


अनेकानेक आयोजन

स्‍वतंत्रता दिवस को पूरी निष्ठा, गहरे समर्पण और अपार देश भक्ति के साथ पूरे देश में मनाया जाता है। स्‍कूलों और कालेजों में यह दिन सांस्‍कृतिक गतिविधियों, कवायद और ध्‍वज आरोहण के साथ मनाया जाता है। दिल्‍ली में प्रधानमंत्री लाल किले पर तिरंगा झंडा फहराते हैं और इसके बाद राष्‍ट्र गान गाया जाता है। वे राष्‍ट्र को संबोधित भी करते हैं और पिछले एक वर्ष के दौरान देश की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हैं तथा आगे आने वाले समय के लिए विकास का आह्वान करते हैं। इसके साथ वे आज़ादी के संघर्ष में शहीद हुए नेताओं को श्रद्धांजलि देते हैं और आज़ादी की लड़ाई में उनके योगदान पर अभिवादन करते हैं। एक अत्‍यंत रोचक गतिविधि जो स्‍वतंत्रता दिवस के साथ जुड़ी हुई है, वह है पतंग उड़ाना, जिसे आज़ादी और स्‍वतंत्रता का संकेत कहा जाता है।

प्रभातफेरी

स्कूलों और संस्थाओं द्वारा प्रात: ही प्रभातफेरी निकाली जाती हैं जिनमें बच्चे, युवक और बूढ़े देशभक्ति के गाने गाते हैं और उन वीरों की याद में नुक्क्ड़ नाटक और प्रशस्ति गान करते हैं। 

देशभक्ति का प्रदर्शन

भारत एक समृद्ध सांस्‍कृतिक विरासत वाला देश है और यह दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। यहाँ के नागरिक देश को और अधिक ऊंचाइयों तक ले जाने की वचनबद्धता रखते हैं जहां तक इसके संस्‍थापकों ने इसे पहुंचाने की कल्‍पना की। जैसे ही आसमान में तिरंगा लहराता है, प्रत्‍येक नागरिक देश की शान को बढ़ाने के लिए कठिन परिश्रम करने का वचन देता है और भारत को एक ऐसा राष्‍ट्र बनाने का लक्ष्‍य पूरा करने का प्रण लेता है जो मानवीय मूल्‍यों के लिए सदैव अटल है।

July 14, 2018

August Festivals List In India | 2018

August Festivals List In India 2018

August Festivals Calander 2018


August Months All Festivals List Hare

Friendship Day
Aug 05, 2018

Aja Ekadashi
Aug 06, 2018

Kamika Ekadashi
Aug 07, 2018

Quit India Day
Aug 09, 2018

Nehru Trophy Boat Race
Aug 11, 2018

Champakulam Boat Race
Aug 11, 2018

Bahula Chauth
Aug 11, 2018

Hariyali Amavasya
Aug 11, 2018

Hariyali Teej
Aug 13, 2018

Nag Panchami
Aug 15, 2018

Onam
Aug 15, 2018 - Aug 27, 2018

Independence Day
Aug 15, 2018

Simha Sankranti
Aug 17, 2018

Rajiv Gandhi Jayanti
Aug 20, 2018

Bakra Eid
Aug 21, 2018 - Aug 22, 2018

Shravana Putrada Ekadashi
Aug 22, 2018

Raksha Bandhan
Aug 26, 2018

Kajari Teej
Aug 29, 2018

July 14, 2018

Quit India Day | Aug 09, 2018

"मैं तो एक ही चीज लेने जा रहा हूं-आज़ादी! नहीं देना है तो कत्ल कर दो। आपको एक ही मंत्र देता हूं करगें या मरेगें। आज़ादी डरपोकों के लिए नहीं है। जिनमे कुछ कर गुजरने की ताकत है, वही जिंदा रहते हैं।"
8 अगस्त 1942 की रात्रि को कांग्रेस महासमिति के समक्ष "भारत छोड़ो आंदोलन" के प्रस्ताव पर बोलते हुए महात्मा गांधी ने उपरोक्त शब्द कहे, जोकि इतिहास का अहम दस्तावेज बन गए। महात्मा गांधी इस अवसर पर हिंदी और अंग्रेजी में तकरीबन तीन घटों तक बोले। महात्मा की तक़रीर के पूरे समय तक अजब सन्नाटा छाया रहा। ऐसा प्रतीत हो रहा था कि उनका एक एक शब्द में देश की मर्मान्तक चेतना को झिंझोड़ता रहा और उसे उद्वेलित करता रहा। सन् 1942 का भारत छोड़ो आंदोलन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और इसके नेता महात्मा गांधी के संघर्ष का एक ऐसा क्रांतिकारी काल रहा, जिसमें अंग्रेजी राज के विरुद्ध भारत के जनमानस को निर्णायक संग्राम के लिए ललकारा गया। महात्मा गांधी की ललकार पर लाखों भारतवासी करो या मरो के मंत्र पर अपने जीवन को जंगे ए आजादी के लिए आहुत करने के लिए अपने घरों से निकल पड़े। भारत छोड़ो आंदोलन के इन बलिदानियों में सबसे अधिक संख्या नौजवानों की थी। भारत छोड़ो आन्दोलन विश्वविख्यात काकोरी काण्ड के ठीक सत्रह साल बाद भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान 9 अगस्त सन 1942 को गांधीजी के आह्वान पर समूचे देश में एक साथ आरम्भ हुआ। यह भारत को तुरन्त आजाद करने के लिये अंग्रेजी शासन के विरुद्ध एक सविनय अवज्ञा आन्दोलन था। क्रिप्स मिशन की विफ़लता के बाद महात्मा गाँधी ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ़ अपना तीसरा बड़ा आंदोलन छेड़ने का फ़ैसला लिया।

आन्दोलन की शुरुआत

भारत छोड़ो आन्दोलन या अगस्त क्रान्ति भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन की अन्तिम महान लड़ाई थी, जिसने ब्रिटिश शासन की नींव को हिलाकर रख दिया। क्रिप्स मिशन के ख़ाली हाथ भारत से वापस जाने पर भारतीयों को अपनी छले जाने का अहसास हुआ। दूसरी ओर दूसरे विश्वयुद्ध के कारण परिस्थितियाँ अत्यधिक गम्भीर होती जा रही थीं। जापान सफलतापूर्वक सिंगापुर, मलाया और बर्मा पर क़ब्ज़ा कर भारत की ओर बढ़ने लगा, दूसरी ओर युद्ध के कारण तमाम वस्तुओं के दाम बेतहाश बढ़ रहे थे, जिससे अंग्रेज़ सत्ता के ख़िलाफ़ भारतीय जनमानस में असन्तोष व्याप्त होने लगा था। जापान के बढ़ते हुए प्रभुत्व को देखकर 5 जुलाई, 1942 ई. को गाँधी जी ने हरिजन में लिखा "अंगेज़ों! भारत को जापान के लिए मत छोड़ो, बल्कि भारत को भारतीयों के लिए व्यवस्थित रूप से छोड़ जाओ।"
इस समय द्वितीय विश्वयुद्ध छिड़ चुका था, और इसमें ब्रिटिश फ़ौजों की दक्षिण-पूर्व एशिया में हार होने लगी थी। एक समय यह भी निश्चित माना जाने लगा कि जापान भारत पर हमला कर ही देगा। मित्र देश, अमेरिका, रूस व चीन ब्रिटेन पर लगातार दबाव डाल रहे थे, कि इस संकट की घड़ी में वह भारतीयों का समर्थन प्राप्त करने के लिए पहल करें। अपने इसी उद्देश्य को पूर्ण करने के लिए उन्होंने स्टेफ़ोर्ड क्रिप्स को मार्च, 1942 ई. में भारत भेजा। ब्रिटेन सरकार भारत को पूर्ण स्वतंत्रता देना नहीं चाहती थी। वह भारत की सुरक्षा अपने हाथों में ही रखना चाहती थी और साथ ही गवर्नर-जनरल के वीटो अधिकारों को भी पहले जैसा ही रखने के पक्ष में थी। भारतीय प्रतिनिधियों ने क्रिप्स मिशन के सारे प्रस्तावों को एक सिरे से ख़ारिज कर दिया। क्रिप्स मिशन की असफलता के बाद भारतीय नेशनल कांग्रेस कमेटी की बैठक 8 अगस्त, 1942 ई. को बम्बई में हुई। इसमें यह निर्णय लिया गया कि अंग्रेज़ों को हर हाल में भारत छोड़ना ही पड़ेगा। भारत अपनी सुरक्षा स्वयं ही करेगा और साम्राज्यवाद तथा फ़ाँसीवाद के विरुद्ध रहेगा। यदि अंग्रेज़ भारत छोड़ देते हैं, तो अस्थाई सरकार बनेगी। ब्रिटिश शासन के विरुद्ध नागरिक अवज्ञा आन्दोलन छेड़ा जाएगा और इसके नेता गाँधी जी होंगे। 9 अगस्त 1942 के दिन इस आन्दोलन को लालबहादुर शास्त्री सरीखे एक छोटे से व्यक्ति ने प्रचण्ड रूप दे दिया। 19 अगस्त, 1942 को शास्त्री जी गिरफ्तार हो गये। “मरो नहीं, मारो!” का नारा १९४२ में लालबहादुर शास्त्री ने दिया जिसने क्रान्ति की दावानल को पूरे देश में प्रचण्ड किया।) 9 अगस्त 1925 को ब्रिटिश सरकार का तख्ता पलटने के उद्देश्य से ‘बिस्मिल’ के नेतृत्व में हिन्दुस्तान प्रजातन्त्र संघ के दस जुझारू कार्यकर्ताओं ने काकोरी काण्ड किया था जिसकी यादगार ताजा रखने के लिये पूरे देश में प्रतिवर्ष 9 अगस्त को “काकोरी काण्ड स्मृति-दिवस” मनाने की परम्परा भगत सिंह ने प्रारम्भ कर दी थी और इस दिन बहुत बड़ी संख्या में नौजवान एकत्र होते थे। गान्धी जी ने एक सोची-समझी रणनीति के तहत 9 अगस्त 1942 का ही दिन चुना था। 9 अगस्त 1942 को दिन निकलने से पहले ही काँग्रेस वर्किंग कमेटी के सभी सदस्य गिरफ्तार हो चुके थे और काँग्रेस को गैरकानूनी संस्था घोषित कर दिया गया। गान्धी जी के साथ भारत कोकिला सरोजिनी नायडू को यरवदा पुणे के आगा खान पैलेस में, डॉ॰ राजेन्द्र प्रसाद को पटना जेल व अन्य सभी सदस्यों को अहमदनगर के किले में नजरबन्द किया गया था। सरकारी आँकड़ों के अनुसार इस जनान्दोलन में 940  लोग मारे गये, 1630  घायल हुए, 18000 डी० आई० आर० में नजरबन्द हुए तथा 60299  गिरफ्तार हुए। आन्दोलन को कुचलने के ये आँकड़े दिल्ली की सेण्ट्रल असेम्बली में ऑनरेबुल होम मेम्बर ने पेश किये थे।


आंदोलन का उद्देश्य

यह आंदोलन का सही मायने में एक जन आंदोलन था, जिसमें लाखों आम हिंदुस्तानी चाहे अमीर हो, गरीब हो सभी लोग शामिल थे। इस आंदोलन की सबसे बड़ी खास बात यह थी कि इसने युवाओं को बड़ी संख्या में अपनी ओर आकर्षित किया। कॉलेज छोड़कर युवा जेल की कैद हंसते-हंसेत स्‍वीकार कर रहे थे। सबसे बड़ी बात यह थी कि इस आंदोलन का प्रभाव ही इतना ज्‍यादा था कि अंग्रेज हुकूमत पूरी तरह हिल गई थी। उसे इस आंदोलन को दबाने के लिए ही साल भर से ज्‍यादा का समय लगा। जून 1944 में जब विश्व युद्ध समाप्ति की ओर था, तब गांधी जी को रिहा किया गया।

9 अगस्त का ही दिन क्यों चुना?

- 6 अगस्त 1925 को ब्रिटिश सरकार का तख्ता पलटने के उद्देश्य से बिस्मिल के नेतृत्व में 10 जुझारू कार्यकर्ताओं ने काकोरी कांड किया था।
- काकोरी कांड ब्रिटिश सरकार का ही खजाना लूट लेने की एक ऐतिहासिक घटना थी।
- जिसकी यादगार ताजा रखने के लिए पूरे देश में हर साल 9 अगस्त को काकोरी काण्ड स्मृति-दिवस मनाने की परंपरा भगत सिंह ने प्रारंभ कर दी थी।
- इस दिन बहुत बड़ी संख्या में नौजवान एकत्र होते थे। कांग्रेस ने भारत छोड़ो आंदोलन के लिए 9 अगस्त का दिन एक सोची-समझी रणनीति के तहत चुना था।
- 900 से ज्‍यादा लोग मारे गए, हजारों लोग गिरफ्तार हुए इस आंदोलन की व्‍यूह रचना बेहद तरीके से बुनी गई।

नेताओं की गिरफ्तारी, जनता ने संभाली आंदोलन की बागडोर
- 9 अगस्त 1942 को दिन निकलने से पहले ही कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सभी सदस्य गिरफ्तार कर लिया गया।
- ब्रिटिश सरकार ने कांग्रेस को गैरकानूनी संस्था घोषित कर दिया।
- सभी बड़े नेताओं तो ऑपरेशन जीरो ऑवर के तहत जेलों में ठूस दिया गया।
- गांधी जी के साथ भारत कोकिला सरोजिनी नायडू को यरवदा पुणे के आगा खान पैलेस में नजरबंद कर दिया गया।
- डॉ.राजेंद्र प्रसाद को पटना जेल व अन्य सभी सदस्यों को अहमदनगर के किले में नजरबंद किया गया था।
- इसके बाद जनता ने खुद आंदोलन की बागडोर अपने हाथों में ली और इसे आगे बढाया क्योंकि उस समय नेतृत्व करने वाला कोई नहीं था।
- आंदोलन की अगुवाई छात्रों, मजदूरों और किसानों ने की, बहुत से क्षेत्रों में किसानों ने वैकल्पिक सरकार बनाई।
- उत्तर और मध्य बिहार के 80 प्रतिशत थानों पर जनता का राज हो गया।
- पूर्वी उत्तर प्रदेश के साथ-साथ बिहार में गया, भागलपुर, पूर्णिया और चंपारण में अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह हुआ।
- आंदालेन की बागडोर अरुणा आसफ अली, राममनोहर लेाहिया, सुचेता कृपलानी, छोटू भाई पुराणिक, बीजू पटनायक और जयप्रकाश नारायण ने संभाली।
- भूमिगत आंदोलनकारियों की मुख्य गतिविधि होती थी- संचार साधनों को नष्ट करना।
- उस समय रेडियो का भी गुप्त संचालन होता था, राममनोहर लेाहिया कांग्रेस रेडियो पर देश की जनता को संबोधित करते थे।
- ब्रिटिश सरकार को इस जनविद्रोह को काबू करने में एक साल लग गए, विद्रोह थोड़े समय तक चला, पर यह तेज था।

आजाद हुआ भारत

सेकंड वर्ल्ड वार की समाप्‍ति के बाद ब्रिटिश प्रधानमंत्री क्‍लेमेंट रिचर्ड एटली के नेतृत्‍व में लेबर पार्टी की सरकार बनी। लेबर पार्टी आजादी के लिए भारतीय नागरिकों के प्रति सहानुभूति की भावना रखती थी। मार्च 1946 में एक केबिनैट कमीशन भारत भेजा गया, जिसके बाद भारतीय राजनैतिक परिदृश्‍य का सावधानीपूर्वक अध्‍ययन किया। एक अंतरिम सरकार के निर्माण का प्रस्‍ताव दिया गया और प्रां‍तों और राज्‍यों के मनोनीत सदस्यों को लेकर संघटक सभा का गठन किया गया। जवाहर लाल नेहरू के नेतृत्‍व ने एक अंतरिम सरकार का निर्माण किया गया। मुस्लिम लीग ने संघटक सभा के विचार विमर्श में शामिल होने से मना कर दिया और पाकिस्‍तान के लिए एक अलग राज्‍य बनाने में दबाव डाला। भारत के वाइसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने भारत और पाकिस्‍तान के रूप में भारत के विभाजन की एक योजना प्रस्‍तुत किया। तब भारतीय नेताओं के सामने इस विभाजन को स्‍वीकार करने के अलावा कोई विकल्‍प नहीं था, क्‍योंकि मुस्लिम लीग अपनी बात पर अड़ी हुई थी। भारत में बड़े पैमाने पर हिंसा हुई 5 लाख लोग मारे गए, 1.5 करोड़ लोगों को दोनों तरफ से घर छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा। इस प्रकार 14 अगस्‍त 1947 की मध्‍य रात्रि को भारत आजाद हुआ तब से हर साल भारत में 15 अगस्‍त को स्‍वतंत्रता दिवस मनाया जाता है।
July 14, 2018

Friendship Day SMS | 2018

Best Friendship Day Sms In Hindi


Sabse alag sabse pyare ho aap,
Tarif puri Na ho itne pyare ho aap,
Aaj pata chala ye zamana Q jalta he aapse,
Qki frnd to Aakhir hamare ho Aap.


Zindagi ek railway station ki tarah hai.
Pyar ek train hai jo aati hai aur chali jaati he.
Par dosti enquiry counter he.
Jo hamesha kehti he MAY I HELP U.


Life me kbhi hmari Dosti k bare me koi glat fehmi ho to...
Sikka uchalna
agr head aaye to we r frnds...
or
agar tail aaye to...
.
.
Chupke se palat dena...Dost


Dosti k wado ko uhi nibhate rhenge,
hm hr waqt aap ko satate manate rahenge,
mar b jaye to kya gum hai, hm ansu bankar apki ankho me aate rahenge.


KaBhi DIL Ki KAMJORI BaNKAR ReH JaTi Hai,
.
KaBhi WAQT ki MaJBooRI BaNKaR ReH JaTi Hai,
.
Ye Dosti WO WATER Hai,
.
JiTNa Piyo PYAAS ADHURI Hi ReH JaTi Hai,

Dost 1 aisa 'Chor' hota hai jo.
.
Ankho se AANSU
Chehre se PARESHANI
Dil se MAYUSI
Zindgi se DUKH
Aur hatho ki lakiro se MAUT
Tak ko chura leta hai.


Suna hai asar hai hamari baton me, warna log bhul jaate hai 2-4 mulaqato mein, aap hume bhulakar kahan jayenge,aapki dosti ki lakeer hai mere hathon mein.


    Humne kabhi Dosti ko jana na hota,
    hamari zindgi me apka Aana na hota,
    yuhi akele guzaar dete zindgi ko,
    agar apko Apna dost Mana na hota..


    [____________] is box me kuch aisa likho jo hme jindgi bhr yad rhe. Apne sare frnds ko bhejo aur dekho wo apke liye kya likhte hai. Bt reply me 1st


    Kahi Andhera to Kahi Sham Hogi,
    Meri Har Khu$hi Tere Naam Hogi,
    Kuch Mang k to Dekh Humse Dost, 
    Hothon pe Hasi aur Hatheli pe 'JAAN' Hogi.
    ('.')' '('.')
    /( )\/{ }\
    _!!__/\_.


    jise dil ki "KALAM" or bharose ki "INK" kehte H
    jise lamho ko "KITAB" or yaado ko "COVER" kehte H
    yahi wo "SUBJECT" hai jise log " DOSTI" kehte H


    Pani na ho to nadiya kis kam ki,
    aansu na ho to ankhiya kis kam ki,
    dil na ho to dhadkan kis kam ki
    agar mai aapko yad na karu to hamari dosti kis kam ki.

    -~*´¨¯¨`*·~- Happy Friendship Day -~*´¨¯¨`*·~-


    Khusi Ka Pal Ho Tumare Liye Baharo Ka Gulista Ho Tmare Liye
    Kamyabi Ki Manjil Ho Tumhare Liye Bas Ek Pyara Sa Dost Banke Rehna Humare Liye


    Dosti achchi ho toh rang laati hai, Dosti gehri ho toh sabko bhaati hai, Dosti naadaan ho toh toot jaati hai, Par agar dosti apne jaisi ho Toh itihaas banaati hai !


    Dost ban gaye chalte chalte,
    Zindagi kat jaye gi chalte chalte,
    Ye duniya yaad rakhegi hamari pyari dosti
    Qki "HAM HAI RAAHI PYAR KE PHIR MILEGE CHLATE CHLATE.


    Are ye dostwa ye kaya hot hai - "Friendship day"
    Tanik humka batoo na,
    Hariya kahat hai ki- Friendship day = Mitrata divasa
    Dekhat hai aaj ke din saab yee bada bada gift‚
    lekar apne dost ke pass jawat hai,
    Are ye dostwa hum hu gaon ke garib gawar
    > Kaha se mahga gift-uift khridege
    Par humu tohra se "Pardeshi Babu" aaj kuch kahat chahat hai-
    "Yeh dosti hum nahin todenge
    Todenge dam magar tera saatha na chhodenge"
    July 14, 2018

    Friendship Quotes In Hindi | 2018

    Best Friendship Quotes In Hindi

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